जब वो छोटा था तो स्कूल में मास्टर जी मार खाने के बाद उसने स्कूल छोड़ दिया था ..इसलिए उसने अपनी बेटी को एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का निर्णय लिया I बेटी रोज़ उसने आने का इंतज़ार करती और उसके मजदूरी से आते ही ठेला तक उतरने का इंतज़ार किये बगैर ही सारी पढाई उसके सामने उगलने कि कोशिश करती . वो अंग्रेजी का एक भी शब्द न समझ पता लेकिन उसे इस बात का शुकून मिलता कि उसकी आँखों का तारा उसकी दुलारी अंग्रेजी बोल रही है.
अभी वो तीन दिनों तक दिहाड़ी न मिलने के चलते बड़ा दुखी था I आज भी उसने दोपहर तक चौराहे पर इंतज़ार किया लेकिन कोई भी आदमी उसे अपने घर काम करने के लिए नहीं ले गया. थका हारा वो डगमगाते पैरों घर की और चल पड़ा I घर पहुंचा तो बेटी स्कूल से आ चुकी थी I बेटी ने बापू के आते ही बोला------"माय डिअर फादर टुमारो इज़ 2nd ओक्टोबर एंड देयर इज़ स्वच्छ भारत प्रोग्राम इन माय स्कूल I"
निरक्षर होने के चलते उसे कुछ समझ नहीं आया वो बस बेटी का चेहरा देखता रहा I बेटी ने आगे कहा ----- "बुध्धू बापू इतना भी नहीं समझते . कल गाँधी जी का जन्मदिन है और सारे स्कूल को सजाया जायेगा . सफाई की जाएगी,और बापू कल हमारे स्कूल में फिर से टीवी पर प्रधानमंत्री जी का सफाई वाला भाषण सुनाया जायेगा I वो बेटी को बोलते हुए अपलक सुनता रहा I
बेटी ने आगे कहा------ "बापू बापू मुझे स्कूल कि सफाई के लिए सामान लाना है पैसे दो ना ?"
उसने धीरे से जेब को टटोला I खाली जेब देख उसे खुद पर कोफ़्त हई......I बेटी ने जिद्द करते हुए पुनह आग्रह किया "बापू पैसे दो ना ....मुझे कल स्कूल में मार पड़ेगी .....आप सुनते क्यों नहीं हो ? बापू.......????"
उसका दिमाग झन्ना गया . उसे याद आया अपना स्कूल.....जब उसे मास्टर साहब ने चांटा मारा था. उसे खुद के सामने अपना मास्टर खड़ा प्रतीत हुआ . उसने बदले की भावना से एक चांटा हवा में घुमाया ..... लड़की के गले से रुलाई फूटी .......उसे होश आया ... उसका मास्टर उसके सामने नहीं था ..... और लड़की अनवरत रो रही थी.....आंसू टपक रहे थे, और लड़की मानो जड़ हो एक ही स्थान पर खड़ी बस रोये जा रही थी......I
वो घुटनों के बल झुका और उसने बेटी को कस कर लगे लगा लिया .... वो फफक फफक रो पड़ा ..... लड़की न समझ पायी कि उसके बापू ने आज उसे क्यों पहला थप्पड़ मारा .... और वो नहीं समझ पाया कि क्यों उसे आज इतना गुस्सा आया?
संदीप तोमर
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY