संदीप तोमर
तुम कौन परी हो
जो आती हो रोज़
मेरे ख्वाबों में;
साज़ हो तुम
किसी वाद्य का
या फिर
पन्त की किसी छायावादी
कविता की पंक्ति कोई
कबीर की साखी का
कोई दोहा हो तुम
या दीवानी मीरा का
हो मधुर पद कोई
कालिदास की शकू हो तुम
या गोकुल की गोपी कोई
गीता का उपदेश हो तुम
या रामायण की चौपाई
कश्मीर की वादी में खिला
कोई पुष्प हो तुम
पतझड़ का सुर्ख पत्ता हो
या सावन की घटा कोई
स्वर्ग की रम्भा हो
या उर्वशी की अदा हो तुम
मीन हो तुम किसी नदिया की
या पाताल की नागकन्या कोई
नगरवधु वैशाली या फिर
महाभारत की पांचाली हो तुम
सत्यवान की सावित्री हो
या वनवासी सीता कोई
उम कौन पारी हो
जो आती हो रोज़
मेरे ख्यालों में
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