Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बङे दिन हो गये कभी रो कर

 

बङे दिन हो गये कभी रो कर नही देखा
इन आँखो को आँसुओं से धो कर नही देखा


गुजर रही है जीन्दगी जागते-जागते यादो मे तेरी
अरसा गुजर गया कभी सो कर नही देखा


हर रोज करते है तेरी तस्वीर से बाते

उम्र हो गयी तुझे छू कर नही देखा


लाख धोखा खा चुके है इस खुदा से हम
कभी उसको भरोसे पर उतरते नही देखा


कई फसाने सुन चुके है प्यार के हमने

सच्ची जोङीयों को प्यार मे मिलते नही देखा

 


सुना है सुरलोक मिलता है प्यार मे जान खो कर के
अभी तो प्यार मे हमने जान खो कर नही देखा

 


Sandeep "Albela "

 

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ