छाया तिमिर घनघोर है
इस उजले राष्ट्र मे।
कर सके जो इसको रौशन
रौशनी की तलाश में हूँ।
कुछ जिन्दगी है जीते
जैसे मौत ने हो छोड़ा।
दे सके जो इनको जीवन
जिन्दगी की तलाश मे हूँ।
कही लौ है जलती देखी
रौशनी के किलो में।
एक कतरा जो दान कर दे
उस लौ की तलाश में हूॅ।
मालिक ने है सौपा
जिन्हे अन्न का खजाना।
शान्त कर दे जो उदराग्नि
कुबेर की तलाश मे हूँ ।
०००० संदीप अलबेला ००००
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY