हर पाँच वर्ष मे प्राणी ये दिृष्टीगोचर हो जाते है।
पहले तो ये पाँव पकङते।
फिर आ के गला दबाते है।
चूना लगाना काम है पनवङिये का।
पर ये बिन कत्थे का जनता/देश को चूना लगाते है।
Sandeep "Albela "
Powered by Froala Editor
हर पाँच वर्ष मे प्राणी ये दिृष्टीगोचर हो जाते है।
पहले तो ये पाँव पकङते।
फिर आ के गला दबाते है।
चूना लगाना काम है पनवङिये का।
पर ये बिन कत्थे का जनता/देश को चूना लगाते है।
Sandeep "Albela "
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY