Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हे भारत के अमर सपूत

 

हे भारत के अमर सपूत
स्वतंत्रता के अग्रदूत

 

 

स्वप्न जो तुमने देखा था
स्वप्न अभी वह अधुरा है

 

 

थी स्वतंत्र भारत की चाह तुम्हे
वह आस अभी भी अधूरी है

 

 

गोरो ने तो छोड़ दिया
अपनो ने हमको लूटा है

 

 

सपनो के पंख निकल आये
यथार्थ अभी तक झूठा है

 

 

ऐ आजादी को चाहने वाले
यह राष्ट्र अभी भी मुक्त नही

 

 

जो जनता मरती है भूखो
उनको भोजन के लाले है

 

 

जिनकी थाली है भरी पड़ी
उनको अन्न की भूख नही

 

 

कलम की स्याही प्यासी है
नोटो वाले थैलो की

 

 

लोकतंत्र का हाल हो गया
नेताओं के रखैलो सी

 

 

 

©©©©©संदीप अलबेला©©©©©

 

 

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