जाने दो ऐ यारो, क्या तुम्हें सुनाऊँ
मेरे आँसु नही उतरते, क्यूँ तुम्हें रूलाऊँ ।।
वो शख्स मेरे दिल, जिग़र, जान में समाया है
खुद जान दे दूँ, या अब उसे भुलाऊँ ।।
मेरा दर्द, अश्को में अब नही उतरता
बुलबुल की तरह मै भी, कोई प्रेम गीत गाऊँ ।।
कब तलक सोया रहूँगा, लेके झूठे स्वप्न
घड़ी आ गयी है, सच से नयन मिलाऊँ ।।
विदा होने को है, दर से उसकी डोली
घड़ी आ चली है, जनाजा मै भी अब सजाऊँ ।।
संदीप अलबेला
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