Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मृत्यु नही मारती केवल एक इंसान को

 

मृत्यु नही मारती केवल एक इंसान को
मृत्यु तो मारती है एक हँसते खेलते जहाँन को

एक व्यक्ति की मृत्यु पर
मैने कइयो को मरते देखा है

चिता तो उसकी जल गयी
औरो को पल-पल जलते देखा है

बड़ा सरल होता है कहना
जीवन-मरण है रीति यहाँ की

पर सरल नही होता
सहर्ष इसे स्विकारना

अब रातों को सुनाई नही देती
उस वृद्ध की उटपटीग बाते

अब सूनी रातों में केवल
गृहजनो की शिसकियां सुनाइ देती है

ले कर नाम पूरे दिन, जो हमे पुकारा करते थे
अब घर के खाली कमरो में बस गूँज सुनाइ पड़ती है

इस बेरहम वक्त ने, जख्म जो दिया है
वक्त के रहम से, वो जख्म भी भरेगा

 

 

 

Sandeep Albela

 

 

 

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