तेरी आँख का काजल
तुझे देखने का इक बहाना है।
हाल-ए-दिल अपना तो
अस्को मे बहाना है।
तु हासिल हो न हासिल हो
किसको खबर ये है।
शदियो से ये आसू ही
कलम की विरासत है।
कवि हूँ मै मुझे तो बस
विरासत को निभाना है।
Sandeep Albela
Powered by Froala Editor
तेरी आँख का काजल
तुझे देखने का इक बहाना है।
हाल-ए-दिल अपना तो
अस्को मे बहाना है।
तु हासिल हो न हासिल हो
किसको खबर ये है।
शदियो से ये आसू ही
कलम की विरासत है।
कवि हूँ मै मुझे तो बस
विरासत को निभाना है।
Sandeep Albela
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY