Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरी आँख का काजल

 

तेरी आँख का काजल
तुझे देखने का इक बहाना है।

 

हाल-ए-दिल अपना तो
अस्को मे बहाना है।

 

तु हासिल हो न हासिल हो
किसको खबर ये है।

 

शदियो से ये आसू ही
कलम की विरासत है।

 

कवि हूँ मै मुझे तो बस
विरासत को निभाना है।

 



Sandeep Albela

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