Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तेरी याद दिल से क्यु जाती नही

 

तेरी याद दिल से क्यु जाती नही
जिन्दगी मुझमे क्यो समाती नही ।

 

 

खुशिया मुंडेर पर टहलती है मेरे
होटो पे जाने क्यो आती नही।

 

 

जिन्दा है अब भी तू दिल की वादियो में
फिर गीत बन के क्यो जगाती नही।

 

 

रूलाती है मुझको शूल बन के तेरी यादे
तुम यादो पर पहरा क्यो लगाती नही।

 

 

आँखो में मेरी अश्को का है समन्दर
कश्तिया गमो की फिर क्यो डुबाती नही।

 

 

राहो में चल रहा हूँ ले करके नाम तेरा
फिर मंजिले मोहब्बत की क्यो आती नही।

 

 


••••• संदीप अलबेला•••••

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ