तुम मुझे भूल कर पथ सजाती रहो
मै तुम्हे याद कर गुनगुनाता रहूँ।
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मै तुम्हारे लिए चादनी के दिये
नित सजाता रहूँ
तुम भले ही मुझे तड़पाती रहो
मै तुम्हे याद कर गुनगुनाता रहूँ
तुम मुझे भूल कर पथ सजाती रहो
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मिल भी जाये अगर
स्वर्ग की अप्सरा
मै न देखु उसे
मै तो चाहूँ तुम्हे
तुम मेरा हाथ छोड़ जुल्म ढाती रहो
मै तुम्हे याद कर गुनगुनाता रहूँ
तुम तुझे भूल कर पथ सजाती रहो।
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जीवन मे कही भी किसी मोड़ पर
याद आये मेरी, तो भी रोना नही
अगर जमाना कहे क्या गलत क्या सही
याद कर के मुझे चैन खोना नही
तुम सुहाने स्वप्न को सजोती रहो
तुम मुझे भूल कर पथ सजाती रहो
मै तुम्हे याद कर गुनगुनाता रहूगा
°°°°•••• संदीप अलबेला••••°°°°
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