ये मेरा मर्ज मेरी जान लेने पर आमादा क्यों है ?
गर जान लेना ही है तो दर्द किस्तो में बांधा क्यों है ?
हमने तो लुटाया है जमाने में लतिफे फिर शिसकियां
किश्मत में मेरी ज्यादा क्यो है ?
ऐ जिन्दगी ! तू कविता सी सरल तो नही
फिर तू ही बता तेरा इरादा क्या है ?
संदीप अलबेला
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY