Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये मेरा मर्ज मेरी जान लेने पर आमादा क्यों है ?

 

ये मेरा मर्ज मेरी जान लेने पर आमादा क्यों है ?
गर जान लेना ही है तो दर्द किस्तो में बांधा क्यों है ?


हमने तो लुटाया है जमाने में लतिफे फिर शिसकियां
किश्मत में मेरी ज्यादा क्यो है ?


ऐ जिन्दगी ! तू कविता सी सरल तो नही
फिर तू ही बता तेरा इरादा क्या है ?

 


संदीप अलबेला

 

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