लब्ज़ खामोश और आँखें नम हैं
ऐ इश्क बता तेरी आगोश में
बेवफाई के कितने आलम ऐसे ही
गुमनामी के अंधेरे में पडे हैंजिंदगी की रेस में जिंदगी ही पिछे छूट गई
ख्वाहिशों की कतार में मंजिल ओझल हो गईअब क्या करे ये उलझन उभरी दिल में
कारवां तो चल पड़ा और आँखें नम हो गईवाह रे तकदीर ,अजीब तेरा बहाना
चंद लकिरें खिंची और कह दिया
यहीं हैं तुम्हारे जिंदगी का फसानाजिंदगी की रेस में जिंदगी ही पिछे छूट गई
ख्वाहिशों की कतार में मंजिल ओझल हो गईअब क्या करे ये उलझन उभरी दिल में
कारवां तो चल पड़ा और आँखें नम हो गईदिल में बसने वालो ने ही जब
इस कदर दिल को तोडा हैं तब
ये दिल बस तुही बता दे अब
किससे हम इज़हार करे और
किस पर एतबार करे हमजब सब परवरदिगार पहेलेसेही मुक्कमल करके रखता हैं
ए इंनसान क्यों तू बेवजह खूद को यूही कोसते रहता हैं
जो होना हैं उसे बदल नही सकता फिर भी
क्यो हर वक्त खूद को कसुरवार मानकर रोते रहता हैमैं अपनी फितरत बदलना चाहता हूँ
मैं जज़्बातो को संभालना चाहता हूँ
ए नादान दिल बस इक बार ही सही
मैं खूद अपनी तकदिर लिखना चाहता हूँसूरज से थोड़ी रोशनी उधार ले ले
उम्मीद कि राह को तूं थोडा थाम ले
हर पल वस तेरा ही होगा ये जान ले
बस तु मायुसी के दामन को छोड़ देये दर्द है कि कल बिछड़ जाएँगे हम
ये आस हैं कि किसी मोड़ पर मिलेंगे हम
बस इतना याद रखना मेरे दोस्त तुम
कि हर पल बहुत याद आओगे तुमलब्ज़ो की क्या जरूरत हैं
इज़हार करने के लिये
तेरी इक अदा ही काफ़ी है
घायल हमें करने के लिएसिर्फ़ हौसला बुलंद होने से आगाज़ नही होता
किसी कि बददुआ से कोई बरबाद नही होता
बस तु इतना याद रख कि खूदा कि इबादत में ही हर मसले का हल होगा
और दुनिया में इन्सानियत के सिवा कोई और मजहब न होगाजज्बातों को अक्सर हमने सीने में दफना दिया
तेरी चाहत ने हमें निकम्मा बना दिया सच कहता हूँ
हम भी थे कभी बहुत काम के ए सनम
बस तेरी आशिकी ने हमे दिवाना बना दिया
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