Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अमूल्य माँ

 

'ऐ ' स्वर्ग सी सुंदर
भारत माँ
है मेरे लिए अनमोल तू .....
क्या तेरी अभिलाषा है ?
एक बार तो
बोल तू ....
है मेरे लिए अनमोल तू ।

 

ऋतुओं का तू
चक्र है
नीर का शीतल स्रोत ...
हरी-भरी तेरी
ममता है ...
फल-फूल से अरोत -प्रोत ...
झरझर-झरझर झरनों में
रही मस्त पवन सी
डोल तू ...
है मेरे लिए अनमोल तू ..... ।

 

तेरी हर छटा
में संगीत है
तेरा हर कदम मृदंग .....
तूझ पर शोभा
दे रहे
भांति –भांति के रंग ....
कलकल –कलकल लहरों में
रही मीठी वाणी
बोल तू ....
है मेरे लिए अनमोल तू ...॥

 

हिमालय तेरा
ताज है
और वस्त्र हैं हिमानी ....
आभूषण है वनस्पतियाँ
तेरा शस्त्र आसमानी .....
पलपल-पलपल निशा के संग
लाती रहती नई
भोर तू ......
है मेरे लिए अनमोल तू .... ।

 

ये जीवन तेरी
धरोहर है
ये साँसे तेरी पूँजी.....
सीना चौड़ा हो जाता है
तेरी जय जयकार जो गूंजी ....
रग-रग में बहती रहती
बनके रक्त का
घोल तू ......
है मेरे लिए अनमोल तू ..... ।

 

क्या तेरी अभिलाषा है ?
एक बार तो बोल तू .....
है मेरे लिए अनमोल तू ...
है मेरे लिए अनमोल तू ...... ॥

 




संजना अभिषेक तिवारी

 

 

 

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