प्रेमी आँखों में
दिल में
पलकों पे
सपनों में
जगह बनाते है
पर तूने तो ------
मेरी कलम में
घर बना लिया
अब बता----
तेरे सिवा
मैं लिखूँ भी तो
क्या लिखूँ ???
तू मेरी
मंजिल भी नहीं
मेरी राह
भी नहीं
और मेरा अंतिम
पड़ाव भी नहीं
पर तू तो-------
मेरे कदम
बन गया है
अब बता-----
तेरे बिना
मैं डगर-डगर
चलूँ भी तो
कैसे चलूँ ????
ना तू मेरा
प्रेम है
ना विश्वास
ना आस्था है
ना सूत्र धार
पर तूने तो------
मेरे विचारों पर
कब्ज़ा कर लिया
अब बता-----
तेरे अलावा
मैं सोचूं भी
तो क्या सोचूँ ????
तो क्या ??
तो क्या तू मेरी
रूह बन गया है ??
मेरी आत्मा----------
मेरा रूहानी हिस्सा ---------
जिसने मेरे
जर्रे-जर्रे को
समेट लिया है ??
और मुझे
खुद में
मिला लिया है ???
सच बता ????
के सच बता ???
संजना अभिषेक तिवारी
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