मिट्टी का
लौंदा है ये
मन
जिसने प्यार से
ऊँगली फेरी
उस ओर
झुक गया
त्याग दी
अपनी कोमलता
लचीलापन, चमक
कर्मठता
और सूखकर
बन गया वो
आकृति
जो तुम्हें सुकून दे
जो तुम्हें मनमोहक लगे
और जिससे
केवल जिससे
तुमको सुविधा हो ।।
केवल तुमको सुविधा हो ।।
संजना अभिषेक तिवारी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY