Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उतराखंड के भोले भण्डारी

 

शायद तुम उस दिन भी
थे भाँग धतूरे के आगोश में ,
खोए थे डमरू की ताल में
मदमस्त थे नागों के हार में ,
झूम रहे थे घंटियों के नाद में
नाच रहे थे जम के श्मशान में ,
तभी---------------
तभी उतर गयी गंगा तुम्हारे ध्यान से
और बह निकली तुम्हारी जटाओं से
वेग और प्रहार में ,बन मुर्दनी
संगीत ताल में
तुम्हारे श्मशानी नृत्य में
झंकार मिलाने को
तुम्हारे मदहोश सुर में
सुर से सुर मिलाने को -----
शायद अब भी तुम सुरूर में हो
पालक हो सबके इस गुरुर में हो
पर अब जागो कृपा निधान
विनाश का करो समाधान
जागो -------------
जागो हे बम –बम भोले
जागो हे त्रिपुरारी ,
देखो प्रकृति की गोद तुमने
कैसे है उजाड़ी
जागो अब ओघड़ बाबा
छोड़ो निंद्रा प्यारी,
बनके फिर जीवन लौटो
दो मौत को मात करारी
अब जागो भोले भण्डारी
अब जागो भोले भण्डारी

 

 

 

Sanjana tiwari

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