आज पहली बार-
मंत्रालय के आगे
चाय के ठेले पर काम करता अधनंगा
सरकारी गाड़ी देखकर भी अनदेखी कर गया,
अंगूठाछाप मंत्री की अध्यक्षता वाली
शिक्षा सुधार समिति में
शामिल होने से प्राइमरी का शिक्षक मुकर गया।
मृतक का शरीर देने के लिए
रिश्वत मॉंगता अस्पताल का कर्मचारी
ज़िंदा आदमी से डर गया,
काग़ज़ पर वज़न रखने के खिलाफ
सरकारी दफ्तर के वज़नी बाबू से
अदना-सा आदमी लड़ गया।
सब्जी बेचनेवाली ने भी
पुलिसिया रंगरूट को
मुफ्त सब्जी देने से कर दिया इंकार,
फुटपाथ पर सोनेवाले ने
निर्वाचित गुंडे का
हफ्ता अदा करने को दिया नकार।
न 26 जनवरी, न 15 अगस्त-
झण्डा बेचनेवाले बच्चे का हाथ
झण्डे के आगे सैल्युट की मुद्रा में
खुद-ब-खुद तन गया,
लोक का सिर गर्व से उठा
तंत्र का बेढब बदन डगमग गया।
व्यवस्था हतप्रभ, भ्रष्टाचार आशंकित
हवाओं में परिवर्तन के सुभाषित,
कौन है इस बयार का जनक
निडर-निर्भीक चेहरों का सर्जक
पुनर्जन्म का मिथक
यथार्थ बना जिसके तेज से,
मुनादी करा दो- देश में
गांधी लौट आया है
अन्ना के भेष में ।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY