*सिक्का*
मेरा शून्य,
मेरा संतृप्त,
समानांतर चलते हैं,
शून्य संभावनाओं को
खंगालता है..,
संतृप्त आशंकाओं को
नकारता है..,
सिक्के की विपरीत सतहें
किसने निर्धारित की ?
संभावना और आशंका
किसने परिभाषित की?
शिकारी की संभावना
शिकार के लिए आशंका है,
संतृप्त की आशंका
शून्य के लिए संभावना है,
जीवन परिस्थिति सापेक्ष होता है,
बस काल है जो निरपेक्ष होता है..!
*संजय भारद्वाज*..9890122603
writersanjay@gmail.com
विजयादशमी, 8.10.2019
प्रात: 9:27 बजे।
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