Writer....संजय कुमार अविनाश
प्रो. {डॉ.} शरद नारायण खरे विभागाध्यक्ष इतिहास
शासकीय महिला महाविद्दालय मण्डला (म.प्र.)- 481661
27-02-2013
प्रिय भाई {अनुज}
नमस्कार !
आशा है सकुशल होँगे । कानपुर मेँ सुखद भेँट हुई थी । आपने अपना उपन्यास
"अंतहीन सड़क" भेँट किया था । धन्यवाद । मैँने उपन्यास पूरा पढ़ लिया है ।
आपने जिस सामाजिक बिषय को प्रस्तुति हेतु चुना है वह प्रशंसनीय है ।
वेश्या-जीवन पर आपका चिँतन , शोध-पूर्ण दृष्टि काफी प्रभावशाली है । एक
प्रकार से यह विमर्श समाज को एक नई दिशा व नया निष्कर्ष देता है । इसमेँ
किँचित भी संदेह नहीँ कि आपके चिँतन मेँ मौलिकता है । कुछ नया कहने की भी
सराहना होनी चाहिये । वस्तुतः वेश्या समाज मेँ गंदगी फैलाती भी है , और
कम भी करती है । दोनोँ बातेँ उसके साथ जुड़ी हुई हैँ , इसीलिए हर व्यक्ति
अपनी नजर से वेश्या को देखता है । पर आपकी दृष्टि काफी विस्तृत है , जो
पाठकोँ की वैचारिकता को विस्तृत करती है । आप बधाई व अभिनंदन के पात्र
हैँ । आपकी प्रखर लेखनी का अभिनंदन करते हुए मैँ आपके लिए अनेकानेक
शुभकामनाएं सम्प्रेषित करता हूँ ।
सप्रेम , भवदीय
शरद नारायण खरे ।
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