Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भारत भूमि

 

भारत तपो भूमि का स्थान है , वीर सपूतोँ का उत्थान है ,
कवियोँ का प्राण है , देवोँ का वरदान है ।
नारी की सम्मान भी है , वेदोँ का नाम भी है ,
गंगा की धार भी है , पर्वतोँ का अंबार भी है ।
देश भक्तोँ का कतार है , देश द्रोहियोँ का तलवार है ,
कंटीली , रेतिली चाल है , स्वाभिमान मेँ भी बेमिशाल है ।
मानवता का ख्याल है , शिक्षा का कर्णधार है ,
वलिदानी से भरा पुरा है , गुलामी से लड़ते रहा है ।
मान-सम्मान मेँ भी बड़ा है , देवोँ के साथ भी अड़ा है ,
यहाँ की नारी वेदना की प्यारी , हर पग सम्मान की भागीदारी ।
हरियाली , झाड़ी पहचान है , हिमालय की बेटी संगम शान है ,
कायरोँ को मिटाना आन है , दुनियां मेँ भारत महान है ।
भारत ही पाकिस्तान है , हिन्दु-मुस्लिम समान है ,
सांप्रदायिकता मिटाना काम है , धर्मनिरपेक्षता मेँ अभिमान है ।
शांत रहना कर्त्तव्य-परायण है , अहिँसा का पाठ पढ़ना मानवीय ज्ञान है ,
हर धर्म का महाप्राण है , देवोँ का धरा भारत ही नाम है ।

 

 

 

संजय कुमार अविनाश

 

 

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