"मुझे उड़ने दो "
मुझे नीले गगन की ऊँचाइयों छूने दो ,
बेशक मेरा सहयोग मत करो ,
मुझे पैसे भी मत दो ,
मेरे लिए चिंता भी मत करो ,
लेकिन इतनी गुजारिश है मुझे रोको भी मत ।
सुनो आखिरी आबाज यही है मेरी ~~~~~महिला दिवस
संजय कुमार अविनाश
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