Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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टूटी चप्पल

 

कचड़ा बीनती, नन्हेँ हाथ
गली-मुहल्ले , कब्र-श्मशान
पीठ पर लदे गंदे , बदवूदार
निःसहाय गरीबी की पहचान
टूटी चप्पल, फटी ब्लॉऊज, चिथड़े मन
अस्मत का कवच !

 

दिन, माह, वर्ष यूँ ही बीता
बदवू से स्नेह
मायावी से द्वेष
पश्चिमी झुकाव
सबसे अलगाव
टूटी चप्पल !

 

अचानक चमचमाती गाड़ी
नजरोँ मेँ चमचमाई
कालू के पापा
डगमग-डगमग
चप्पल छोड़
आहिस्ता-आहिस्ता
पास खड़े
बड़बड़ाया-
साहव ! साहव !
स----ब ---स--ब
हाँ -- स-ब
गाड़ी , बंगला , रुपया !

 

मैँ भी भरमाई
कहाँ ? क्योँ ?
आखिर कहाँ ?
बताओ क्योँ ?

 

मैँ पास खड़ी , खड़ी रही !
नाक, भौँहे दबाये
चमचमाती गाड़ी
ओझल हो चली ,
टूटी चप्पल , फटी ब्लॉऊज
निहारती रही ---
देखी , समझी ,
संभाली !

 

चमचमाती ब्लॉऊज
रंगीन चप्पल
छीटदार साड़ी
एक दिन आँखेँ खुली
अस्पताल मेँ !
लड़खराती आवाज,
बेहोशी ,
खून से लथपथ
आस-पास
कई टूटी चप्पल
फटी ब्लॉऊज
बदवूदार भीड़
निहार-निहार
कोसे जा रहा
सजा मिली
कचड़े बीनने की
रंगीन चप्पल की
चमचमाती ब्लॉऊज की
बदवू से नाता तोड़ने की
चारोँ तरफ
रेप , ब्लात्कार
कचड़े के साथ
कचड़े का साथ !!

 



संजय कुमार अविनाश

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