Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सोचता हूँ मैं

 

 

sochtahun

 

"सोचता हूँ मैं कब से, अंदर से,
नदी वो कब मिले? समंदर से,

 

लोग कहते हैं बुतफ़रोश मुझे,
इश्क़ मैंने किया है, पत्थर से,

 

जीते-जी मौत देखती है वो,
जिसे मिले तलाक़ शौहर से,

 

सभी अपने लिखे से गुज़रे हैं,
रश्क़ मैं क्यूँ करुँ, क़िस्मतवर से,

 

वफ़ा पे उनकी 'राज़' शक़ जायज़,
रखे हैं राज़ जो, हमबिस्तर से।।"

 

 

 

 

संजय कुमार शर्मा 'राज़'

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