मनावर जिला धार (मप्र ) के वरिष्ठ कवि श्री शिवदत्त जी "प्राण " ने लगभग पचास वर्ष पूर्व गणेश जी की स्वरचित आरती लिखी थी जो पुरे मनावर एवम आसपास के क्षेत्रो में ये आरती संगीत के साथ आज भी गाई जाती है-
आरती गजानन जी की ,पार्वती नंदन शिवसुत की ।
गले में मोतीन की माला ,साथ है ऋद्दि-सिद्दि बाला ।
वहां को मूषक है काला ,शीश पर मुकुट चन्द्र वाला ।
चलो हम दर्शन को जावें , पूजा की वस्तु को भी लावें ।
पूजन कर साथ 2 नमाऊँ माथ 2 जोड़कर हाथ 2
कहो जय गोरी नंदन की ,पार्वती नंदन शिवसुत की
आरती गजानन जी की ……………
हाथ में अंकुश और फरसा ,विनय कर सब जगधरी आशा ।
करेंगे प्रभु सब दुःख को नाशा ,कृपा करी पूरन हो आशा ।
कि सुनकर उत्सव गणपति को ,के सुर नर दोड़े दर्शन को ।
जावें सब साथ 2 पुष्प ले हाथ 2 ,दृष्टि करी माथ 2
कहो जय जय जय गणपति जी की ,पार्वती नंदन शिवसुत की।
आरती गजानन जी की. ...........
केशव सुत शरण है चरण में ,मण्डली बाल समान संग में ।
विनय कर दीन -हीन स्वर में ,सुखी रखों जनता को जग में ।
भारत माँ के है हम सब लाल, चिरायु करों इन्हें गनराज ।
विनय के साथ 2 नमाऊँ माथ 2 जोड़कर हाथ 2
करों इच्छा सेवकों की ,की पार्वती नंदन शिवसुत की ।
आरती गजानन जी की ...............
संकलन :- संजय वर्मा 'दृष्टि "
मनावर
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