मच्छर भी खून को
सॉप्ट ड्रिंक समझकर
अपने डंक से पी रहा
शायद देखा होगा
लोगों को सॉप्टड्रिंक पीते ।
लेकिन ये क्या ?
मच्छर भी समझने लगे
वो देख रहे उन लोगों को
जो मजदूरों के श्रम का खून
खुद पी जाते है
हमारी तरह नक़ल करके
भ्रष्टाचार की नली से ।
किसी ने विभीषण के
भेद की तरह बताया
इन्हें ख़त्म करने हेतु
कड़े कानून रूपी बाण की आवश्यकता है
जो किसी जागरूकता के तरकश में पड़ा
धूल खा रहा है
और बढ़ते प्रदूषण के कारण
लोगो को दिखाई भी नहीं दे रहा है।
पैसो को खाने में
बिमारियों /भ्रष्टाचारियों में
होड़ सी लगी है
ये भी पिछड़ने का कारण है
यदि बाण दिखाई भी दे तो
उसे चलाने की हिम्मत
भला किसमें है ?
संजय वर्मा "दृष्टि "
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