आज देखो साँझ केसी
मजा की हुई री है |
यंहा तो चमकता चाँद की
रात मे घणी बात हुई री है |
चांदनी बी दूब का साते
न्हाई है ओंस से |
यंहा तो पत्ती का खोला मे
मोती होण की बात हुई री है |
भले ज चाँद मुहब्बत की
चांदनी नि बिखेरे |
यंहा तो चापलूस सितारा होण की
चमकवा की बात हुई री है |
संजय वर्मा "दर्ष्टि "
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