गुनगुना रहे भंवरे .... गीत बज रहा था । लेकिन ये क्या! अब तो प्रदूषण की वजह से भँवरे ही बगिया से गायब होने लगे है । वही मच्छरों के गुनगुनाने यानि भिनभिनाने की आवाजें आने लगी है । क्या करें गंदगी इतनी इंसान करने /फैलाने लगा ,जिसके कारण मच्छरों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही और इबोला जैसी कई बीमारिया जन्म लेने लगी है ,रोकने के भरसक प्रयत्न एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य की भरपाई में इंसान पिछड़ने लगा है ।
एक दिन एक बुद्धिजीवी को ख्याल आया क्योँकि मच्छरों ने उन्हें उस समय काटा जब वो टी वी पर आतंकवादियों के हमले की ख़बरें जो प्रसारित हो रही थी को देख रहे थे एवं अख़बारों में भारत के आंतरिक मामलों में पाक की दखलंदाजी एवं संघर्ष विराम का उल्ल्घन के कारण भारत का सख्त कदम "पाकिस्तान से बातचीत बंद " को पढ़ भी रहे थे ,तब उन्होंने सोचा, वाकई अब ये सही निर्णय लिया ।
तो वे लगे कागज उठाकर मच्छरों और आतंकवादियों में समानता की रचना दनादन रपटने लगे । उन्होंने लिखा कि मच्छरों को मारने के इंतजाम होने के बावजूद वो ख़त्म नही हो पा रहे है । वैसे ही आतंकवादी भी है जो देश में धार्मिक एवं राष्ट्रीय त्यौहारों पर घुसपैठ का प्रयत्न करते है । मच्छर कब काट ले ये कोई नहीं जानता ,आतंकवादी तरह -तरह के विस्फोट करने के फार्मूले अपनाते है । इंसान घरों में मच्छरों से, तो बाहर आतंवादियों से त्रस्त रहते है विशेषकर जम्मू -कश्मीर के क्षेत्रों में । मच्छरों को आँसू नहीं आते वैसे ही आतंकवादियों को दहशत फैलाने के बाद वीभत्स दृश्यों से आँसू नहीं आते । विस्फोटो से, छीन जाते है बच्चों से उनके माँ -बाप और माँ -बाप से उनके बच्चे ,और हम गिनने लग जाते मरने और घायल होने वालों की संख्या । क्यों नहीं ख़त्म कर पा रहे हम उनके आतंकीपन को ,शायद हम बुजदिल हो गए है । तभी तो वो निर्दोषो की हर बार जान ले रहे है । और हम दशहत भरी भीड़ में देख रहे रोते हुए तमाशा । शायद कहीं आतंक का प्रदूषण स्वच्छ वायु को छीन तो नहीं रहा केसर की क्यारियों के चमन से ,यही सोचता हूँ ! कहीं ऐसा न हो जाए होसलों का अर्थ ही हम भूल जाए और आतंक हम पर हावी होता जाए । आतंकवादियों और मच्छरों को रोकने का उपाय क्या हमारे पास है ? आतंक का सफाया कब करेंगे ये शायद वक्त से पूछना पड़ेगा । यह सोचता हूँ । देश ने सही निर्णय लिया है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाक की आतंकवादी गतिविधियों एवं आतंक को पनाह देने के कारण सभी देशों ने मिलकर सख्त कदम "पाकिस्तान से बातचीत बंद " का फार्मूला सभी देशों ने मिलकर अपनाना होगा तभी विश्व शांति एवं मेत्रीयता को धरती पर स्थापित कर सकते है ।
संजय वर्मा 'दृष्टि "
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