Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेदर्दी इन्सान

 

मोहल्ले में रात को भोकती कुतिया
सतर्क कर देती
कोई आ रहा है ?
सभी धर्म के लोग उसे रोटी डालते
वो खा लेती
दुम आभार स्वरुप हिलाती ।


कुतिया के पिल्लो को
चोरी से कुछ लोग उठा ले गये
माँ का स्नेह -दुलार क्या होता है
उन्हें इससे क्या वास्ता ?

 

रोती -कराहती कुतिया
ढूंढ रही अपने बच्चों को
वो अब दी जाने वाली रोटी भी
नहीं खा रही ।

 

खाए भी तो केसे
बच्चों के माँ से अलग होने का दर्द
एक माँ ही समझ सकती है
जेसे भ्रूण -हत्या होने पर
इंसानों में माँ को होता है
दर्द ।

 

कुतिया सोच रही है
यदि में इन्सान होती तो बताती
इंसानों को अपनी वेदना
कोन सुने -समझे उसकी वेदना
वो समझ रही है
केसे -केसे दुनिया में है
बेदर्दी इन्सान जो करते है भ्रूण हत्या
और कुछ लोग चुराकर दूर करते है
हमसे हमारे पिल्लै ।

 

 

संजय वर्मा 'दृष्टि '

 

 

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