बेटी हाथ बटाती
घर के कामों में
माँ से ही सिखा था
ससुराल जाने का पाठ
ताकि काम के न आने पर
ताना देने के बाणों से
वो मुक्त हो सके।
कहा गया की
माँ के चरणों में स्वर्ग होता
आशीष में होते
आशीर्वाद के मीठे फल
इन्हे केसे पाया जाता
ये भी सिखा था माँ से ।
में भी माँ से सीखी
बातों को अपनों में
बाट कर खुशहाली का माहोल
पैदा करना चाहती और
घर को स्वर्ग बनाना चाहती हूँ
क्रूर इंसानों द्वारा
भ्रूण -हत्या किये जाने की
खबरें सुनती तो हो जाते मेरे
शरीर पर रोंगटे खड़े
रोकना होगा भ्रूण हत्या
क्योकि कई माँ
अपनी बेटियों को
घर का काम और शिक्षा को
सीख देने के लिए
आस लगाये बेठी है
अपने -अपने द्वार ।
संजय वर्मा "दृष्टि "
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