माता -पिता के गुजर जाने से
घर को संभाल रही बेटियाँ ।
कांधा देकर/अग्निदाह करके
संस्कृति निभा रही बेटियाँ ।
बेटों के बिना बेटा बन के
लोगों को दिखला रही बेटियाँ ।
वेशभूषा से पहचान मुश्किल
कहते है की बेटे है या बेटियाँ ।
वाहन चलाने से डरती थी
हवाई- जहाज उड़ा रही बेटियाँ ।
प्राकृतिक आपदाओ के समय
लोगों की जाने बचा रही है बेटियाँ ।
देश की सीमा -प्रहरी बन के
दुश्मनों को दहाड़ रही है बेटियाँ ।
कुशल राजनीती बन कर ये
देश -प्रदेश को संभाल रही बेटियाँ ।
भ्रूण हत्या ,दहेज़ ,बलात्कार को
रोकने का बीड़ा उठा रही है बेटियाँ ।
बेटी बचाओ का संकल्प लो सभी
दुनिया को ये संदेश दे रही है बेटियाँ ।
संजय वर्मा "दृष्टि "
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