Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भगवान के वागे

 

 

bhagwan ke bhage

 

नानी को" डीरइ"नाम से सब जानते थे|नानी को भगवान कृष्ण के वागे (पोशाख )बनाने का शौक था ,यही उनकी कृष्ण के प्रति सेवा भक्ति भी थी | वे अपनी बुढ़ी आखों से हाथ सिलाई मशीन पर नित्य वागे सीकर गोपाल मंदिर मे जाती वहां भजन करती व हाथ ,मशीन से तैयार किये गये वस्त्रों को मंदिर आने वाली भक्तो मे निशुल्क बाँट देती | कई घरों मे भगवान के सुन्दर सजीले वागो को पाकर लोग उनकी प्रशंसा करने लगते थे | वस्त्रों की भेट को नानी भगवान पर चढ़ाये जाने वाली फूलों की तरह मानती थी |इसी से नानी के मन को शांति मिलती थी |कर्म,कला, श्रम,,भक्तिभाव से की जाने वाली पूजा वाकई दूसरों को भी वागे की कला की प्रेरणा देती थी |आज नानी इस दुनिया मे नहीं है किन्तु उनके सीले सुन्दर तरीके से वागे बनाने की कला एवं उन्हे निशुल्क बांटनेका पुनीत कार्य आज दूसरों को प्रेरणा दे गया है |भक्ति भाव से पूजा करने का ये ढंग वाकई सुन्दर व प्रेरणा दायक भी है |बस इस कला का एक दुसरे को बाटने का ज्ञान होना चाहिये|

 

 


संजय वर्मा "दर्ष्टि "

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