Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बूढ़ा बैल कहीं नहीं बिकता

 
बूढ़ा बैल कहीं नहीं बिकता 

ये सोचकर 
बैल ख़रीदे
किसान ने
अपनी पहली
फसल बेचकर 
घर को एक बारिश
और खाने दे 
बाद में ठीक करायेंगे 
बैलो के खूरों  में
नाल लगवाने का 
दर्द ,मगर खुद के सीने में 
दबा जाते है 
हर साल फसलों का 
जोड़ बाकी करके 
फसलो  पर दंभ भरते 
वे फसले जिनका 
खाद ,दवाई बीज 
पहले  उधारी का 
निवाला बन चुकी 
पानी ने अतिवृष्टि में  
फसले कमजोर कर 
फसलों के लाभ के आँकड़े
बदल डाले ऋणों में 
ये बातें भला बैल क्या जाने ?

कर्ज में डूबा किसान 
बैलो को ही सुख -दुःख का 
सहारा समझता 
उनसे ही बातें  करता 
अपने दुःख दर्दो को 
बीमार होने पर 
छकड़ा गाड़ी में 
बैलो  जोतकर 
इलाज करवाने चला जाता है 
शहर 
बैलगाड़ी की लचरता 
उसके पहिये के 
टूट जाने से होती 
बेबस 
इसमें भला बैल का क्या दोष ?

बैल ही को 
किसान मारता ,समझाता 
इसी ने मेरी गाड़ी तोड़ी 
घर जाने पर गुस्सा 
छोड़ आता रास्ते पर 
दुलारता है फिर से 
बैलो को 
बैल बूढ़ा होने तक 
अपने मालिक की सेवा 
करता है 
क्योकि अंत में उसे 
किसान के घर ही 
मरना है
क्योकि बूढ़ा बैल कही बिकता नहीं 
इसमें भला किसान का  क्या दोष ? 

संजय वर्मा "दृष्टि "
125 , बलिदानी भगत सिंह मार्ग 
मनावर जिला -धार (म प्र )








Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ