वर्तमान में कई वृद्ध झेल रहे परिजनों का तिरस्कार ।जिसकी मुख्य वजह जैसे आधुनिकीकरण ,कामकाजी लोगो का स्थानांतरण व् युवाओ का शहरों की ओर पलायन आदि से बुजुर्गो की अनदेखी हो रही है। साथ ही अपने बड़ो के प्रति आदर सम्मान छूटता जा रहा है । संग बैठकर भोजन करना ,कार्यक्रमों में एवं बाहर घूमने में अपने माता -पिता को साथ लेकर जाने की या उनके साथ जाने की सोच में बदलाव आता प्रतीत होने लगा है । वृद्ध माता -पिता स्वास्थ्य ठीक ना होने से देखभाल हेतु उम्मीद करते है । उनके प्रति अनदेखी करेंज तो हमारे बच्चे भी उसी तरह अनुसरण करेंगे । ऐसे में माता पिता के मन में आ रहे युवाओं में इस तरह के बदलाव से भविष्य के चिंतनीय प्रश्न उठने लगे है । युवाओं को चाहिए कि माता पिता के लिए इलेक्ट्रॉनिक युग की भाग दौड़ भरी दुनिया में से माता -पिता के लिए कुछ समय निकाले ।परिजनों को चाहिए की वे वृद्ध लोगो की अनदेखी न करेऔर उन का तिरस्कार न करें बल्कि उनका सम्मान करे क्योकि उन्होंने ही परिवार शब्द एवं आशीर्वाद की उत्पत्ति की है ।
संजय वर्मा'दृष्टी '
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