Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चाँद -चकोर

 

आकाश की आँखों में
रातों का सूरमा
सितारों की गलियों में
गुजरते रहे मेहमां
मचलते हुए चाँद को
कैसे दिखाए कोई शमा
छुप छुपकर जब
चाँद हो रहा है जवां

 

 

चकोर को डर
भोर न हो जाएँ
चमकता मेरा चाँद
कहीं खो न जाए
मन बेचैन आँखे
पथरा सी जाएगी
विरह मन की राहे
रातें निहारती जाएगी

 

 

चकोर का यूँ बुदबुदाना
चाँद को यूँ सुनाना
ईद और पूनम पे
बादलो में मत छुप जाना

 

 

याद रखना बस
इतना न तरसाना
मेरे चाँद तुम खुद
मेरे पास चले आना

 

 

 

संजय वर्मा"दृष्टि "

 

 

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ