Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धूप

 

गुनगुनी सी
धूप
ठंड में लगती है
प्रेयसी कि तरह

 

बारिश में
हो जाती बादल के संग
मेहमां

 

गर्मी में
आशिकों के बदल जाती
मिजाज
बेवफा कि तरह

 

धूप के भी
रिश्ते है फूलों से
जेसे होता है चाँद का
चाँदनी से

 

इश्क कि राह में
धूप में नंगे पांव भी
चल पड़ते
परवाने कि तरह

 

 

 

संजय वर्मा"दृष्टि "

 

 

 

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