Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हर घर में उजाला जाए

 

जनमंचों पर अपनी साहित्य विधा के हर रंग का जादू बिखेरने वाले वरिष्ट कवि प. अरविन्द त्रिवेदी "सनन " यूँ तो जन -जन में लोकप्रिय है उतनी ही उनकी धार्मिक एवम साहित्यिक कर्म में रूचि अम्बर को छू रही है । स्वयं को बड़ा कभी न महसूस समझने वाले प. अरविन्द त्रिवेदी "सनन " का सहयोग की भावना का एक नया रूप और मंशा गजल संग्रह में स्पष्ट झलकती है । गजल संग्रह के शीर्षक से ही हमें इस बात का पता चलता है कि -"हर घर में उजाला जाये "सच मुच आपने अपने विद्वान् पिता नाम तो रोशन किया ही है साथ ही महाकाल नगरी के अलावा प्रदेशों में भी अपनी पहचान के झंडे गाड़े है । सरस्वती वंदना में आप के स्वर कानों में मिश्री घोलते वही काव्य रसिकों को शब्दों के चुम्बकीय आकर्षणता में बांध कर एक नई उर्जा का संचार कर देते है । इस कला की जितनी भी प्रशंसा की जाये उतनी कम होगी।


टी वी का कब्ज़ा जनता पर ऐसे हुआ की लोग टी वी से चिपके ही रहते है "ये गीत और भजन तो है टी वी डूबा गई /सुनसान सनन कह रहा चोपाल देखकर " । निराशा को दूर करने का मूलमंत्र भी दिया है- "यूँ हार कर के मोंत का दामन न थामिये /हर इक समस्या का है समाधान जिन्दगी " ।सनन की सोच काफी गहराई वाली है - "जिसकी सूनी आँखे सब कह जाती है /वह बच्चा भी मुझको शायर लगता है "


जन जन में लोकप्रिय वरिष्ट कवि प। अरविन्द त्रिवेदी "सनन " का नाम ही काफी है । लोगो से उन्हें असीम प्यार मिला है और यही बात गजल में भी दिखलाई पड़ती है -"मेने प्यार पाया है महफिलों में लोगों से /वर्ना मेरी जिन्दगी तो जिन्दगी नहीं होती "वही धर्मनिरपेक्षता का पुनीत सन्देश दिया है - "भाई चारा बढता है मिलने और मिलाने से /कबूतर उड़ाने से शांति नहीं होती " । प्रेम की कशिश को गजल की में बेहतर तरीके से ढाला है -जब जब तेरी याद के बादल छाते है /आँखों में बारिश का मोसम होता है " व् " तेरी गजल दिल की बात कहती है /तेरी बातों में कितना दम होता है " मालवी बोली की मिठास की पूरी दुनिया कायल है नशा मुक्ति का सन्देश हास्य रस में गजब दिया -" घर से चल्या था बन के वी लाड़ा बजार में /पीके वी दारू अब पड्या आडा बजार में " सनन जी की हर गजल दमदार है और दिल को छू जाने वाली है यकीं न होतो इन पंक्तिओं पर तनिक गोर फरमाए -"में सुबह जागूं या कोई है जगाता मुझकों /न उठूँगा तो फिर आयेंगे उठाने वाले "। हर घर में उजाला जाये १००% दिलों में जगह बनाएगी इसमें कोई शक नहीं है। हमारी यही शुभकामनाये है ।

 

 


गजलकार -प. अरविन्द त्रिवेदी "सनन "
प्रकाशक -शब्द प्रवाह साहित्य मंच
ए /99 , व्ही। डी.मार्केट
उज्जैन (म प्र ) 456006
मूल्य - 195 /-रूपये

 

 

 

संजय वर्मा "दृष्टि " मनावर(धार )

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