Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हितों का ध्यान

 

मोरनी अपने परों से
नहीं ढाक पाती अपना तन
जितना ढांक लेता है मोर
अपने पंखों से अपना तन |

 

ना घर ,ना घोसला
मुंडेरो और कुछ बचे पेड़ों पर
बैठकर ये सोच रहे ?
इंसानों को रहने के लिए
कुछ तो है मेरे देश मे
जंगलों के कम होने से
क्या मेरे लिए कुछ भी नहीं है
मेरे इस देश मे |

 

पिहू -पिहू बोल के
बुद्दिजीवी इंसानों से
कह रहा हो जेसे
इंसानों के हितो के साथ
हमारे हितों का भी ध्यान रखो
क्योकि हम राष्ट्रीय पक्षी है |

 

नहीं तो कहते रह जाओगे
जंगल मे मोर नाचा किसने देखा
और यही सवाल अनुतरित बन
रह जायेगा महज किताबों मे |

 

 

संजय वर्मा "दर्ष्टि "

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