अब न जाए ना कोई ये दिल धड़कता है
सांसे कहती है खुशबू सा कोई महकता है
पल पल जीवन सँवारु दिल ये समझता है
बिन तेरे अब बावला मन नहीं बहलता है
पलकों में नमी संग लट उलझी सी रहती है
घटाए कही और जाकर बरसने को कहती है
काजल कालिमा गालों पर धारा सी बहती है
दो पल की दूरियां इंतजार की बातें करती है
तुम बिन फूल बिखर जाने की बात करता है
बरसती बूंदों से सौंधी खुश्बू की बात कहता है
गरजती बिजलियों से बादल अब क्यों डरता है
याद करता जब अपना आँखों से आंसू झरता है
होठो की लाली गुलाब की पंखुडिया बन जाती है
जब कोई बात दिल की दिल में समझ आती है
लम्हा हिचकी से यादों को कुछ कह नहीं पाता है
तरसती राहों का इंतजार दिल को रुला जाता है
संजय वर्मा "दृष्टी "
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY