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कर्म अच्छे करते रहो
अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो।
मोहन को इस बात की चिंता सताती थी कि वो पूर्व जन्म में कुछ ना कुछ था।तथा उसे ऐसा लगता कि वो जिस जगह को देख रहा वो उसकी देखी हुई है।ये वाक्या उसे हर बार सपने में भी दिखता रहता है।फिर सोचता है कि मैने ऐसे क्या कर्म किये जो उसे मोक्ष नही दिला सके।पुनर्जन्म की घटना सताती रहती है।वो एक दिन अपने गुरु के पास गया और उसने सवाल यही पूछा।गुरु ने बताया कि जिस प्रकार इस जन्म में मनुष्य होकर हम शुभ व अशुभ कर्म करते हैं, इसी प्रकार पूर्वजन्म में भी हमारी आत्मा ने कर्म किये थे। उन कर्मों का शुभ व अशुभ फल हमें भोगना होता है। कुछ क्रियमाण कर्मों का फल हमें कर्म करने के साथ या कुछ समय बाद इसी जन्म में मिल जाता है। जिन कर्मों का फल जीवात्मा को पूर्वजन्म में नहीं मिल पाता उस कर्म-समुच्चय को प्रारब्ध कहते हैं। उन कर्मों का फल भोगने के लिये ही हमारा यह जन्म हुआ व होता है।हम प्रत्येक जन्म में अपने पूर्व किये हुए कर्मों का फल भोगने के लिये ईश्वर के द्वारा उपयुक्त योनि में जन्म लेते रहेंगे और अपने कर्मों का फल भोगते रहेंगे। इसी को कर्म-फल व्यवस्था कहा जाता है।इसलिए कर्म पर अधिकार तो कर्म फलों पर नही।ये तो पूर्वजन्म के कर्म फल होते है जिन्हें अगले जन्म में भोगना पड़ते ही है।इसलिए इस जन्म कर्मफल की आशा इस जन्म में किये गए कार्यो से कदापि नही करना चाहिए।मोहन अपने गुरु की बात को अच्छी तरह समझ गया।नेक,शुभ कार्य ही कर्म को अगले जन्म में शुभ फल दे सकते है।
संजय वर्मा"दृष्टि"
125,बलिदानी भगतसिंह मार्ग
मनावर जिला धार मप्र
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