माँ -बेटी काव्य संग्रह में ज्योति जैन ने एक नया काव्य प्रयोग किया है-आकार / मांडना कला /सुन्दर रेखांकन से लघु कविता अपने भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दर्शाती है साथ ही सुन्दर आवरण के अलावा स्वयं ,सुधाजी अरोड़ा ,अरुणाजी शास्त्री ,शिखाजी जैन माहेश्वरी ,चानी जी जैन,अन्नपूर्णाजी तिवारी ,संजयजी पटेल ने माँ - बेटी पर सारांश बेहतर लिखे है उनके शब्दों का बेहतर समावेश एक सम्मोहन पैदा करता है । ज्योति जैन ने अपने परिवार के सदस्यों को महत्त्व दिया है जो की तारीफे काबिल है । कविताओ की दुनिया में दुनिया की तमाम माताओं /बेटियों को समर्पित कर प्रेरणा संदेश से बताया है कि "माँ से ही जिंदगी जीने का सही सलीका सीखा जा सकता है "
कवित्री ज्योति जैन का नाम साहित्य क्षेत्र में साहित्य की विधा में बेहतर संचालन ,मधुर व्यवहार से अपनी अलग पहचान बना चूका है ।मिलनसार व्यक्तित्व से साहित्य कृतियों को उपहार स्वरूप देकर,मीठी वाणी से मालवा की मिठास का और भी मान बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाती आ रही है । ज्योति जैन को सतत साहित्य सेवा के लिए हार्दिक बधाई ।
देखा जाये तो ज्योति जैन काव्य कृतियाँ ,कहानी संग्रह ,लघु कथा संग्रह तो पहले ही प्रसिद्धि पा चुके है ।आपने समाचार पत्रों में बेहतर माध्यम से कई अहम मुद्धे भी उठाकर लोगों का ध्यान समस्याओं के समाधान हेतु आकर्षित करवाया है ।
कवित्री ज्योति जैन की हर कविता दमदार है और दिल को छू जाने वाली है यकीं न हो तो इन पंक्तियों को पढ़े तो एक अलग ही सुकून मिलेगा " ईश्वर से प्रार्थना यही ,लूँ जन्म मै अगली बार कभी /उस भाव में भी माँ तू मिले ,है मेरी मनीषा बस इतनी" ।माँ मकान को घर बनाना चाहती थी /इतने नेह से बनाया घर /कि घर मंदिर बन गया /अब समझ में आया …/ माँ मंदिर क्यों नहीं जाती थी " । लौट आया है बचपन का /वो मधुर संगीत /आज बेटी ने /चाँदी की पाजेब पहनी है "। "सुन्दर रचना के एक भाव के अंदाज कुछ यूँ बयां किये " माँ ने मेहँदी से / हथेली पर, बना दिया रुपया /माँ की दुआओं का रंग खिला /और भरी रही /झोली बेटी की /खुशियों, धन -धान्य और /संस्कारों से" । कलयुग में माँ की मनोदशा पर वर्तमान के हालातो पर काफी गहराई से चिंतन किया "लगता है सचमुच ही /कलयुग गया है / सुना है, धरती के साथ -साथ /माँ भी /बँटवारा होने लगा है " । काव्य संकलन की बात करे तो तनिक इस रचना पर गौर फरमाए - "जमाना बदल गया है / टेलीफोन की जगह /बेतार आ गया है /रिश्ते बदलने लगे है / पर नहीं बदलती माँ ।/ गर्भनाल काटने पर भी /जोड़े रहती है तार /दिलों के. रिश्तों " के । काव्य संकलन में ऐसी कई एक से बढ़कर एक रचना समाहित है । ज्योति जैन इस दिशा में भी सक्रिय है उनका मैं मानना है कि " महिला सशक्तिकरण और भी मजबूत बने इस हेतु महिलाओं की सक्रियता की भूमिका होना चाहिए ताकि समाधान की रोशनी फैलाने की आवश्यकता एवं मुश्किलों का सामना करने हेतु वे हर कठिनाइयों का सामना निडर होकर कर सके साथ ही अपने हक़ की परिभाषा को सही मायने में पा सके "। ज्योति जैन ने सा हित्य के क्षेत्र में ये कर दिखाया है। उनके सम्मानो का परचम सदा लहराता उन्हें सम्मान मिलते रहे यही हमारी कामना है । "माँ -बेटी " काव्य संकलन १००% दिलों में जगह बनाएगा इसमें कोई शक नहीं है। हमारी यही शुभकामनाये है ।
काव्य कृति : माँ -बेटी
लेखिका : ज्योति जैन
१४३२/२४ ,नंदानगर ,इंदौर (म प्र ) 452011
मूल्य : २००/-
मुद्रण : संजय पटेल
समीक्षक : संजय वर्मा "दृष्टि "
125 ,शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र ) 454446
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