Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ तथाता

 

कवित्री -रजनी सिह
प्रकाशक -रजनी प्रकाशन
रजनी विला ,डिबाई -२ ० २ ३ ९ ३
मूल्य -रु .५ ० /-

 

 

कवित्री रजनी सिह का काव्य संग्रह "माँ तथाता "की काव्य रचनाओ में शीर्षक नुसार माँ पर समर्पित काव्य पुष्प की स्पष्ट झलक दिखलाई पड़ती है । यही समर्पण भाव काव्यसंग्रह को एक नई ऊँचाइयों पर ले जाकर ममतामयी स्नेह का पक्ष निखारता है । सुन्दर पंक्तियों में देखे एक झलक -"चूजे के मुख कोर डालती चिड़िया अम्मा बोरी / ममता के आँचल से झलती पंखा अम्मा मोरी "एवम " पीड़ा के चीत्कारों में एक शब्द गुंजा /माँ माँ माँ माँ माँ माँ /शोर मच/हर दिशा नृत्य कर गान करें /सत्य स्वाभाविक मुखर हुआ "। माँ के अंतर्मन की प्यास जो की हर माँ के दिलों में रहती है की गहराई में जाकर माँ के प्रति ललक पाने की प्रीत को बहुत ही बेहतर ढंग से शब्दों में पिरोया है -"मिली विदाई अश्रु -मोती ,झोली में प्रीत मणि /प्यार मिले सागर में जल ज्यूँ ,यश-सोभाग्य नदी /माँ तुमसे प्यास जगी "। बिटियाँ माँ से ही सीखती है यानि माँ ही उसकी प्रथम गुरु होती है यही क्रम उसकी बिटियाँ को भी सिखाती है -"प्रथम पाठ पहली शिक्षा पहली विधा माँ देती /जन्म समय वो अश्रु टीस मुख से माँ-माँ गा देती"जो की सच है। कवित्री रजनी सिह ने ममता के भाव को अपनी कलम से बेहतर तरीके संग्रह में ढाला है काबिले तारीफ है ।ममता,प्रेम ,क्षमा ,दया त्याग ,मोह और कर्तव्य में सुलभ गुण समाहित है यर ही गुण संस्कार और व्यक्तित्व की धुरियों को मजबूत प्रदान कर सुखदता के स्वर " माँ " धरा पर पहला शब्द इंसान को देते है । काव्य संग्रह की सभी रचनाये एक से बढ़ कर एक है । साहित्य सृजन में उम्दा कृति अपनी पहचान का परचम अवश्य फहराएगी । बेहतर कृति हेतु कवित्री रजनी सिह को हार्दिक बधाई और आगामी कृति हेतु शुभकामनाए ।

 

 

 

 

 

 

संजय वर्मा "दृष्टि "
१ २ ५ ,शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला- धार (म.प्र . )
४ ५ ४ ४ ४ ६
० ९ ८९ ३ ० ७ ० ७ ५ ६

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