Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेहंदी

 
मेहंदी

निखर जाती है बेटी के 
हाथों की सुन्दरता में 
चार-चाँद लगाती जाए 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी।

मेहंदी,रोसा और बेटी 
लगती जैसे बहन हो आपस में 
महकती जाए निखरती जाए 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी।

मेहंदी भी जाती है बेटी के 
संग ससुराल में 
बाबुल की यादों के आंसू कैसे पोंछे 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी।

जब न होगी बेटियाँ 
तो किसे लगायेंगे मेहंदी
होगी बेटियां तब ज्यादा ही रचेगी 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी।

संजय वर्मा "दृष्टि"
125, बलिदानी भगतसिंह मार्ग 
मनावर ,जिला-धार (म प्र )

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