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पंकज त्रिवेदी का काव्य संग्रह -तुम मेरे अजीज हो .....समीक्षा

 

पंकज त्रिवेदी का काव्य संग्रह -तुम मेरे अजीज हो  

कवि पंकज त्रिवेदी न आधुनिक बोध और समकालीन यथार्थ को तुम मेरे अजीज हो संग्रह में आप ने काव्य रचनाओं को बेहतर तरीके से लिखा है |और यही बात को शीर्षक तुम मेरे अजीज हो के माध्यम से समझाई भी है|साहित्य रचनेवाला किसी भी क्षेत्र या भाषा का हो, उसका साहित्य उनके व् पाठकों के बीच अजीज होने का अपनत्व भर कर अनुभव अपने अजीज होने का करता है ।काव्य रचनाएँ कुल मिलाकर 145 है जो विभिन्न विषयों के जरिये वैचारिक ऊर्जा समाहित करती है और यह काव्य संग्रह की खासियत है । शब्दो की जादूगरी में साहित्य परंपरा को अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है जो की साहित्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य है |भाषा और भाव का पक्ष देखे तो भावपूर्ण है जिससे हिंदी के समाधान की जीत निश्चित है | कवि की सर्जन सामर्थ्य की परिपक्वता काव्य रचनाओं में स्पष्ट झलकती है| भिन्न भावों को दिशा देने वाली काव्य रचना पाठकों के हृदय में सीधे उतर कर विषयों के प्रतिबिम्बों से हमें रुबरु करवाती है | मिलनसारिता ,विनम्रता,आशावादी ,प्रशंसा सबके सामने:आलोचना अकेले में,स्वयं नियम पालन में स्वयं कठोर व औरों के लिए थोड़ा नरम ,कर्मठ होना ,अपना विकल्प तैयार करने के बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डालकर साहस और आत्मनिर्भर जैसे गुणों से मन में विश्वास की ज्योत कवि पंकज त्रिवेदी ने जलाई।कुल 145 काव्य रचनाओं से सजा काव्य संग्रह तुम मेरे अजीज हो साहित्य उपासकों के दिलों में अपनी पैठ अवश्य जमाएगा|साहित्य की विधा में आपका मधुर व्यवहार अपनी अलग पहचान बना चूका है।मिलनसार व्यक्तित्व से साहित्य कृतियों को उपहार स्वरूप देकर,मीठी वाणी से साहित्य का और भी मान बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका अवश्य निभाएगा| आपकी सतत साहित्य सेवा के लिए आपको हार्दिक बधाई|
गुजराती साहित्यकार पंकज त्रिवेदी गद्य के सशक्त हस्ताक्षर है,वही कविता में भी आपकी जबरजस्त पकड़ है| कविता की बानगी देखिये -
"वक्त को पहचान लो तुम
मै पानी का वह बुलबुला हूँ |
जो तुम्हारे हाथ में
आ भी गया तो हवा के संग |
नाचूँगा तुम्हारी हथेली में
मगर इतना नाजुक भी हूँ कि
तुम्हारे स्पर्श से भी टूट जाऊँगा |"
इस काव्य संग्रह में एक से बढ़कर एक काव्य रचनाएँ समाहित है |यही तो काव्य संग्रह की विशेषता है कि वो मन को छू जाता है और पठनीयता के आकर्षण से पाठक को बांधे रखता है।इस तरह से ही कवि पंकज त्रिवेदी समकालीन साहित्य परिचर्चा और स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ते आए है|
वेदना के स्वर मुखरित होते है --"यह जख्म भी बड़े शरारती है मेरे यार/तुम्हारे न होने के बीच रुलाते है हमें"
ह्रदय में अनुभव ख़जाने में श्रेष्ठ विचार का भंडार समाहित है जो समय -समय पर हमे ज्ञानार्जन में वृद्धि कराता आया है।व्यव्हार को दिशा बताती पंक्तियों में
"भरोसा और भावनाएँ
जब मुखर हो जाएँ ,तब
अनगिनत सवाल द्वंद्
करते है
मन के अंदर जवाब
ढूंढने से बेहतर मौन हो जाना|"
अन्य रचनाओं में संवादात्मक पहलू ह्रदय वेदना को झकझोर जाते है।उल्लेखनीय यह है कवि पंकज त्रिवेदी जी को साहित्य से अटूट प्रेम है वे साहित्य को लिखने में सदैव जागरूक रहकर विषयों में जान फूंक देती है।आपकीलेखन की शैली संग्रहणीय तो है ही साथ ही स्तरीयता के मुकाम हासिल भी करती जा रही है।जो कि लेखक की लेखनी परिपक्वता को प्रतिबिंबित करती है ।यह काव्य संग्रह निसंदेह साहित्य"जगत में अपना परचम लहराएगा।मार्मिकता के पहलुओं की पहचान करने में यादगार सिद्ध अवश्य होगा।यही शुभकामना है |
कवि - पंकज त्रिवेदी
ज्ञाननी बारी जी-1 ,,लाभ कॉम्प्लेक्स,12 -बी सत्तर तालुका सोसायटी,नवजीवन,इनकम टैक्स ,अहमदाबाद -14 मो न. 94093771206
मूल्य -20 0 /-
प्रकाशक - विश्वगाथा , गोकुल पार्क सोसायटी,80 फिट रोड ,सुरेंद्रनगर-363002 गुजरात मो न -09668514007 ई मेल vishwagatha@gmail.com
मुद्रक -- किरीट ग्राफिक्स,अहमदाबाद -14

समीक्षक -संजय वर्मा "'दृष्टि"
125 ,बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला धार (मप्र )


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