Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पापड़ की क़द्र हो

 

 

पहले के ज़माने मे पापड़ बनाना हर घर मे जारी था | पापड़ के आटे मे नमक आदि का मिश्रण अनुपात किसी बुजुर्ग महिला से पूछा जाता था |वहां उनकी सलाह को सम्मान भी दिया जाता था |पापड़ के आटे को तेल लगाकर घन (लोहे के हथोड़े ) से पीटा जाता था |आस-पड़ोस की माहिलाये अपने-अपने घर से बेलन -पाटले लेकर आती व एक दुसरे को सहयोग करने की भावना से हाथ बटाती| पापड़ बेलते समय दुःख -सुख की बातें आपस मे बांटा करती, इसमें मन की भावना व सहयोग को अच्छी तरह से समझा जाता था | पापड़ के लोए भी चखने हेतु बांटे जाते थे ,बाद मे पापड़ भी खाने हेतु दिए जाते थे, किन्तु आजकल तो हर घर मे पापड़ का बनना कम होता जा रहा है |कोंन मगजमारी करे ?घर मे पापड़ बनाने की ,लोग बाग़ टी.वी. से ही चिपके रहते है |आसपडोस मे कोंन रहता है ये भी लोग ठीक तरीके से नहीं जानते | भागदोड़ की व्यस्तम जिन्दगी मे घरों मे साँझा प्रयासों के श्रम से निर्मित पाक कलाए भी अपना अस्तित्व धीरे -धीरे खोती जारही है | रोजगार हेतु आज अच्छे -अच्छे को पापड़ बेलना पड़ रहे है की कहावत भी काफी मायने रख रही है क्योकि पापड़ बेलना मेहनत का कार्य है |


अंध श्रदा निर्मूलन संस्थाए अन्धविश्वास के उन्नमूलन मे लगी हुई उनका मानना है की अन्धविश्वास के बल पर भोले -भाले लोगों को ठगने वाले यदि एक पापड़ भी अपनी अपनी अन्धविश्वास की शक्ति से तोड़ के दिखाला दे तो वे मान जायेंगे |
पहले गाँव -देहातों मे टूरिंग टाकिज हुआ करते थे | जिनमे मध्यांतर के दोरान खाने-पीने की चीजों मे पापड़ भी बिकते थे | ड्राय पापड़ ,फ्राय पापड़ का भी उन लोगों मे शोकिया तोर पर अच्छा खासा चलन है जो पेग पीते वक्त चखने मे इसका इस्तमाल करते है |पापड़ों के भी अपने तेवर व स्वाद होते है | चरका पापड़,मीठा पापड़ ,चने ,मुंग .उड़द ,मक्का ,चावल ,आम के रस को सुखा कर पापड़ ,आदि कई पापड़ों की बीरादरी है | अमिताभ बच्चन ने तो" कच्चा पापड़ -पक्का पापड़" के तेजी से बोलने के नुस्खे को काफी चर्चा मे ला दिया था |लोग इसे सही उच्चारण से तेजी से बोलने मे आज भी गड़बड़ा जाते है |


शादी ब्याह के पहले घरों मे पापड़ बनाये जाने का भी चलन था | शायद ये शादी ब्याह मे सहयोग हेतु आसपडोस से सहयोग लेने हेतु चर्चा एक प्रयोग रहा हो |महंगाई के बढने से जायकेदार पापड़ों की दूरियां भोजन मे नहीं परोसे जाने से घट से गई है |पापड़ मे ओषधिय गुण भी होता है जो स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होते है | कुछ महिलाये सब्जिया महँगी होने पर पापड़ की सब्जी बनाकर पति महोदय को पाक कला के स्वाद चखा जाती है | उलेखनीय है की बेलन भी महिलाओं का अपनी बात मनवाने का अचूक शस्त्र संकेत स्वरूप शुरू से ही रहा है |


भ्रष्टाचार ,महंगाई को रोकने के लिए कई वर्षो से लोगों को पापड़ बेलना पड़ रहे है | पापड़ को भी उम्मीद है की कभी न कभी तो ये महंगाई रुकेगी ही ,भय है कहीं पापड़ आन्दोलन का हिस्सा न बन जाये |लोग बाग टी.वी पर सभी वस्तुए अपने अपने हिसाब से विज्ञापनों के सहारे बेच ही रहे है | बेचारा पापड़ अब न जाने केसे वंचित हो गया टी .वी .से | पापड़ बनाने की निति किसी चाणक्य निति से कम नहीं है ,किन्तु वास्तव मे देखा जाये तो गावं -शहरों के घरों मे पहले साँझा प्रयास से पापड़ बनाने का चलन कम सा हो गया है |महिला शक्तिकरण मे भी साँझा प्रयास के कार्य काफी मायने रखते है |इसमें शक्तिकरण को बल मिलता है |आपस मे विचारों के मिलने से समस्याओं के समाधान हेतु सहयोगात्मक भावनाए प्रबल हो उठती है | हर घर मे सहयोगात्मक भावनाए पुन : जाग्रत हो यही पापड़ से भी हमारी विनती है | तो क्यों न शुरू करे पापड़ बनाना और खाना और दुसरो को भी खिलाना | पापड़ जिंदाबाद |

 


संजय वर्मा "दर्ष्टि "

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ