Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

परभाती की राम -राम संग्रह मालवी बोली के हित में

 
परभाती  की राम -राम संग्रह मालवी बोली के हित में

परभाती  की राम -राम  संग्रह में (नारायणी माया )माया मालवेंद्र बदेका जी ने मालवी बोली में कही-"बड़ी -बड़ी रचना को भोत मेहत्व  होय पण नानी-नानी ,छोटी- छोटी वांता भी भोत असर करे है | नानी -नानी सी वात से एक छोटी सी कोसिस है अपणी मालवी बोली के आगे बरसो तक पेचान रखने में आगे बढ़ावा की |"वही मुकेश इंदौरी ने संपादकीय पृष्ठ्भूमि कुछ यू  मालवी बोली के पक्ष में लिखी -मालवी बोली के बचाणे  सारू  तन-मन-धन से कतराई वर ती (बरसों से ) लगी है | वा मालवी के वास्ते ज जीवी री है | हर घडी इनी चिंता में ज लगी रेवे कईतर मालवी बोली के बचावां | उनकी उनकी या तपस्या,साधना एक दण जरूर फलेगा ने मालवी बचेगा "| बहुत अच्छी कामना करी |डॉ विकास दवे  ने माया जीजी के लिए जो काव्य पंक्तिया लिखी वो उनके जीवन का सार है - भोर के राग सी कोमल परभातियाँ और गंगाजल सी निश्छल मेरी माया जीजी "| प्रभातियाँ मालवी बोली के उन्नयन का कार्य है एवं उसके संरक्षण के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण विषय है | दवे जी के माया जीजी के पक्ष में जो लिखा वो स्तुतेय है |प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्माजी ने शुभकामना संदेश में बड़ी अनमोल बात माया जी लिए कही -"नए मीडिया  के जरिये उन्होंने मालवा के घर -आँगन में प्रचलित परभाती  की परम्परा को लेकर काव्यात्मक नवाचार किया है "| परभाती की संख्या 310 है | राम-राम सा से शुरू होने वाली सभी परभाती मालवी बोली का सत्कार लिए अपनी बात विभिन्न विषयों को लेकर प्रेरणा देती है | राम- राम सा .." सांचा  गुरु जो मिले,तो जीवन सफल होय |                        सतकरम की सीख दे,संत गुरु ज्ञानी कोय ||   राम -राम सा ...कदी -कदी तो सुणो  राम जी ,माथा पे राखो हाथ |                       जग में वैर नई होवे  मिली जुली सब रे वे साथ || राम -राम सा ....  धरती बैठ्या पामणा ,कदी नी विसराय |                         मखमल गलीचे बेठाडो ,वी  घणा इतराय || राम -राम सा ...  चंदा ने चाँदणीया आखी रात |                          नैण खुला रया सखी हुई नेणा से वात ||                         चकोर बोले कदी नी जोया करे जी मुख |                          दूरा ती निरखी -निरखी पावे अनुपम सुख || ऐसी कई सुंदर परभाती संग्रह में समाहित है | ये परभाती आने वाली पीढ़ी को मालवी बोली,संस्कृति ,सभ्यता के संस्कार देगी | परभातियाँ को देखे तो मुखड़ा कही -कही गीत की और इशारा करते है यदि अंतरा मालवी में होता तो ये सम्पूर्ण गीत कही कही बनता नजर आता | उल्लेखनीय है की आने वाली मालवी बोली की फिल्म में माया जीजी के गीत है जो बड़े परदे पर आने वाले समय में सुनेगे और देखेंगे |           मालवी कवित्री का नाम साहित्य क्षेत्र में मालवी बोली की साहित्य की विधा में मधुर व्यवहार से अपनी अलग पहचान बना चूका है ।मिलनसार व्यक्तित्व से साहित्य कृतियों को उपहार स्वरूप देकर,मीठी वाणी से मालवा की  मिठास का और भी मान बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाता आ रहा है ।आपकी मालवी बोली की सतत साहित्य सेवा के लिए हार्दिक बधाई|अपनी बात को इस तरह से कहती  है कि उससे संग्रह की पठनीयता की गहराई में साहित्य उपासक जाकर विचारों के मंथन से खुबिया,प्रेरणादायक शब्दों को परख कर  को और भी बेहतर बनाने का कार्य  माया मालवेन्द्र बदेका द्धारा किया है।प्रशंसनीय है।मालवी बोली की वरिष्ठ साहित्यकार  नारायणी माया मालवेंद्र बदेका का मालवी रचनाओं का संग्रह लोकभाषा के आधार को मजबूत करता ही है साथ संग्रह मन में भी मिठास घोल देता है | मालवी बोली की तासीर का असर है | मीठी बोली ऐसी की मानों शहद घुली हो| बोलियों को बचाने में ये अंक महत्व पूर्ण भूमिका अदा करता है | माया मालवेंद्र बदेकाजी बातचीत की  सादगी उनकी रचनाओं में झलकती है |झलक निगम सांस्कृतिक न्यास उज्जैन प्रकाशक ने एक नई छाप छोड़ी है |परभाती की राम -राम संकलन मालवी बोली के हीत में अपना परचम अवश्य लहराएगा | यही शुभकामनाएं है |
संकलन - परभाती  की राम -राम प्रकाशक एवं मुद्रक -श्री विनायक प्रकाशन इंदौर  
लेखिका -माया मालवेंद्र बदेका 
74 , अलखधाम नगर  इंदौर रोड़ ,उज्जैन मप्र 

समीक्षक -संजय वर्मा 'दॄष्टि '
125 ,बलिदानी भगत सिंह मार्ग ,
मनावर (धार ) मप्र 
9893070756

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ