Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

(रंगों से रंगी दुनिया ) नेत्र दान -महादान

 

मेने देखी ही नहीं
रंगों से रंगी दुनिया को
मेरी आखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को |
*
कोंन आएगा ,आखों मे समाएगा
रंगों के रूप को जब दिखायेगा
रंगों पे इठलाने वालों
डगर मुझे दिखावो जरा
चल संकू मे भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलों जरा
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मेने देखी ही नहीं ...........................
*
याद आएगा ,दिलों मे समाएगा
मन के मित को पास पायेगा
आखों से देखने वालों
नयन मुझे दिलों जरा
देख संकू मे भी भेदकर
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि .क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मेने देखी ही नहीं ..............................
*
जान जायेगा ,वो दिन आएगा
आखों से बोल के कोई समझाएगा
रंगों को खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलावों जरा
देख संकू मे भी खुशियों को
आखों मे रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मेने देखी ही नहीं ................................
*

 

 


संजय वर्मा "दर्ष्टि "

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ