Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संस्कृत कि उपेक्षा क्यों ?

 

संस्कृत भाषा अपने ही देश मे पराईहोकर अस्तित्व तलाश रही है ,यह कटु सत्य है |संस्कृत भाषा के अध्ययन को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक होगा ताकी संस्कृत अपना मूल स्थान पाकर विलुप्त होने से बच सके |यह सही है की कोई भी भाषा बोलते -लिखते समय अंग्रेजी प्रयोग का समावेश होता ही है| शुद्ध भाषा का प्रतिशत इसी कारण कम होता जा रहा है | जर्मन वैज्ञानिको ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अंग्रेजी ने प्राथमिक वैज्ञानिक भाषा के रूप मे जर्मन पर अधिपत्य जमा लिया है | अंग्रेजी इस समय एक वायरस के रूप मे कार्य कर रही है ,जिससे प्रभावित होकर अन्य देशों कि प्रचलित भाषाए भी अंग्रेजी से पीड़ित हो गई है | मानाकि अंग्रेजी का ज्ञान आज के इलेक्ट्रानिक युग बेहद आवश्यक है ,कितु उससे इतने भी प्रभावित न हो कि अपनी भाषा/ प्राचीन संस्कृत भाषा मे भी अंग्रेजी का प्रयोग करके उसकी गरिमा व सम्मान के हक़ को छिन लें |क्या हम मनीषियों कि भाषा को ऐसे ही खो जाने देंगे ? शास्त्रों ,पुराणों,ग्रंथों कि मूल भाषा जिसका हम वंदन करते आये है वह हमारे सबके लिए एक धरोहर होकर आज भी सम्मानीय है |लेकिन उसको बढ़ावा देने मे हम अब भी पीछे है |

 

 


संजय वर्मा "दर्ष्टि "

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