प्रथम बेटी चिरेया के बाद "थाने बेटी मारी पेट रे " कवि डा .दशरथ मसानिया का दोहा संग्रह है जिसमे खण्ड अ में दोहे ,खण्ड ब में गीत , खण्ड स मे चालीसा ,समीक्षा एवम बेटी की जानकारी ,लघु कथाएँ समाहित कर कबीर पंथी साहित्य को आगे बढाया का प्रयास किया है ।समाज में संवेदनाए जाग्रत करने के साथ ही बेटियों के गुणगान ,उनके हितो के लिए प्रयास किये जाने के संबंध में दोहों में अच्छा प्रयोग किया है संग्रह का सम्पादन ,प्रकाशन स्तरीय है। बेटियों पर लिखे गए दोहे क्षणिक न होकर शाश्वत है जिसके कारण ही इनके पढ़े जाने की रोचकता बनी रहती है ।" बेटी हीरा नूर है,बेटी चाँदी पाट /बेटी सोना सो टका ,सुन्दर बाको ठाट" शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा का स्वरूप कुछ इसतरह से बतलाया है -"तुमने बेटी नहीं पढाई ,केसे पाओगे वरदान /तुमने बेटी नहीं बचाई ,केसे होगा कन्यादान "। मानवीय संवेदनाओ को सरल भाषा में पेनी कलम से अपनी अभिव्यक्ति को "थाने बेटी मारी पेट रे " रच कर काव्य रसिकों को यथार्थ से रूबरू करने की कोशिश की है जो सफल हुई ।दीपिका ने बेटी की पाती में बहुत गहराई की बात कही जो की सही है ये पाती दोहा संग्रह में चार चाँद लगाती है -"आज भी बेटियाँ को अंतिम संस्कार ,पिंडदान ,श्राद,तर्पण वैवाहिक ,धार्मिक तथा सामाजिक अधिकारों से धर्म का नाम ले कर वंचित रखा जाता है ।उसे पराई वस्तु मानकर उचित शिक्षा ,भोजन तथा अन्य सुविधाओ में भेद किया जाता है। घर के सभी काम कराने के बाद स्कुल भेज जाता है। आजकल छोटी-छोटी बेटियों को देवियों का अवतार बताकर उच्च शिक्षा न देते हुए धर्म प्रवचन कराकर धन कमाने का नया धंधा शुरू हो गया है " । दिल,दिमाग और भावनाओ को छूकर बेटी बचाओ के आधार पक्ष को मजबूती प्रदान की है निश्चित तोर पर यहाँ दोहा संग्रह साहित्य जगत में अपना स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ।शुभकामनाये ।
संजय वर्मा "दृष्टि "
125,शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला-धार (म प्र )
काव्य कृति :-थाने बेटी मारी पेट रे
रचियता :-डा दशरथ मसानिया
सहयोगंश :-50 रु
प्रकाशक :-कबीर कला साहित्य समिति
गव्लिपुरा ,आगर जिला शाजापुर (म प्र)
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