नीम
फूलों से लदे
हरे-भरे नीम की महक
दे जाती मन को सुकून
भले ही नीम कड़वा हो।
पेड़ पर आई जवानी
चिलचिलाती धूप से
कभी ढलती नहीं
बल्कि खिल जाती
लगता जैसे नीम ने
बांध रखा हो सेहरा।
पक्षी कलरव करते पेड़ पर
ठंडी छाँव तले राहगीर
लेते एक पल के लिए ठहराव
लगता जैसे प्रतीक्षालय हो नीम।
निरोगी काया के लिए
इंसान क्यों नहीं जाता
नीम की शरण
बेखबर नीम तो प्रतीक्षा कर रहा
निम्बोली के आने की
उसे तो देना है पक्षियों को
कच्ची -कड़वी,पक्की मीठी
निम्बोली का उपहार।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY